सरकार ज्यादा पैसा क्यों नहीं छापती है

सरकार ज्यादा पैसा क्यों नहीं छापती है
Jankari Good
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का जानकारी गुड साइट पर, दोस्तों आज मैंने सोचा कि आपको थोड़ी सी अलग टॉपिक पर नॉलेज देता हूं।
 

सबसे बड़ा सवाल है भैया रुपया का ये सवाल हम लोगों को परेशान करता है वह यह कि अगर भारत के पास में खुद की करेंसी मशीन है, नोट छापने वाली मशीन है तो फिर भारत अपने मनमर्जी से ज्यादा से ज्यादा पैसा क्यों नहीं लेता है क्योंकि यह सोच लीजिए कि आप अब आपके पास में आपके घर में अगर नोट छापने की मशीन आ जाए तो क्या नोट नहीं जाएंगे आप सुबह से शाम तक नोट छपते रहेंगे तो भारत क्यों नहीं सुबह से शाम तक नोट छापता रहता है आखिर क्यों सरकार ऐसा नहीं चाहती।


सरकार ज्यादा पैसा क्यों नहीं छापती है


क्यों नहीं बना देती सबको अमीर :-

 सबके पास में बहुत ज्यादा पैसा हो जाएगा अगर किसी देश की सरकार बहुत ज्यादा पैसा छाप देती है तो देश से हर तरीके की हर समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है क्योंकि इतना ज्यादा पैसा अगर छाप देगी तो ज़ाहिर सी बात है की न तो कोई इस देश में गरीब रहेगा क्योंकि हर समय गरीबी की समस्या, बेरोजगारी की जो समस्या यहाँ पर बनी हुई है। 
 बेरोजगारी की समस्या भी खत्म हो जाएगी और ना तो कोई किसान आत्महत्या करेगा ना कोई सड़क के किनारे सोएगा और ना कोई घर से दूर जाएगा वो भी पैसे कमाने के लिए ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं जो कि पैसे से जुड़ी हुई है आज की डेट में हर एक समस्या आप देखें तो पैसे से जुड़ी हुई है तो आरबीआई या कोई भी देश की जो होती है वह चाहे तो बहुत सारा पैसा अगर पैदा करले बहुत सारा पैसा मशीनों से छाप ले क्यूंकि सारी मशीनें तो हमारे पास में ही हैं सारे संसाधन हमारे पास में तो बहुत सारा जो पैसा छाप लेगी तो हर जगह जा जाकर गरीबों में बांट दे, बेरोजगारों को दे दे, दूसरे देशों में बांट दे या कभी भी भारत पर कोई नेचुरल डिजास्टर आता है जैसे किसी जगह पर मान लीजिये भूकंप आ गया, किसी जगह पर आग लग गई है या कुछ भी क्षति हो जाती है तो उस केस में वह पैसा वहां पर दिया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं होता है उसको बारे में समझेंगे कैसे
 

सरकार ज्यादा पैसा क्यों नहीं छापती है
ध्यान से समझयेगा अब हम लोग रीजन समझते हैं कि आरबीआई अनलिमिटेड पैसा क्यों नहीं छाप सकती वह समझते हैं देखिए क्या होता है एक सिंपल सी चीज है जो आप को समझनी होती है देखिये किसी भी देश में सम ऑफ ऑल वैल्यू ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज प्रोडूसेड किसी भी देश में जो भी अवेलेबल गुड्स एंड सर्विसेज होती है उसकी कीमत जो होती है वो बराबर होना चाहिए।

इन दोनों का तराजू की तरह बैलेंस होना चाहिए, मान लीजिये इस तरफ एक देश की करेंसी है तो दूसरी तरफ जो देश के अंदर जितने भी संसाधन हो गए, जितने भी गुड्स गए, सर्विसेस हो गई सारी चीजें, इन दोनों को एक बैलेंस बनाकर चलना पड़ता है ऐसा नहीं कि हम लोग इसको बढ़ा देंगे तो भी दिक्कत है और दूसरे को बढ़ा देंगे तो भी दिक्कत है।
सरकार ज्यादा पैसा क्यों नहीं छापती है

वैसे तो यह जो कंडीशन है दुनिया का हर देश इस चीज को बहुत अच्छे से जानता है और समझता है इसी वजह से दुनिया में कोई भी देश ऐसा नहीं है कि जो बिल्कुल सुबह से शाम करेंसी छापने में लगा हो सारे देश एक लिमिटेड अमाउंट ऑफ करेंसी प्रिंट करते हैं।

 लेकिन इतिहास में केवल दो ऐसे देश हुए हैं जिन्होंने यह गलती की है और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है सबसे पहला देश जो है वह जर्मनी, जर्मनी ने क्या किया था पूरी दुनिया में जर्मनी ऐसा देश था कि वर्ल्ड वॉर वन के टाइम की बात है इन लोगों ने जब वॉर में हार गए, हारने के बाद में इनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि युद्ध में जो जितनी जरूरत होता है अपने युद्ध में जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने अलग-अलग देशों से पैसा उधार लेना शुरू कर दिया। 
 जब ये युद्ध में पूरी तरीके से हार गए तो इनको पैसे वापस करने का प्रेशर जब क्रिएट हुआ तो इन्होंने क्या किया बहुत सारी करेंसी एक्स्ट्रा में छापली बहुत सारा पैसा जब इन्होंने लिया तो वहां की पूरी अर्थव्यवस्था खत्म हो गई जिसका खामियाजा उन्हें बाद में एहसास हुआ ।

अब देखिये कि ये सारा काम करता कौन है किसी भी देश का जो सेंट्रल बैंक होता है वो इन सारी एक्टिविटी पर नजर रखता है और वही सारी एक्टिविटी परफॉर्म करता है, वो मार्केट को  आर्थिक स्थिति देता है और सारे फैक्टर को देखते हुए भी करेंसी प्रिंट की जाती है तो अपने देश में कौन करता है देखिये इंडिया का सेंट्रल बैंक है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानि के आरबीआई RBI, आरबीआई नोट प्रिंटिंग का काम करती है।